धैर्य धरो, पुरुषार्थ करो, पूरे होंगे सब काम।
उसी दिन फलती नहीं, जिस दिन बोते आम।।
सोचो! जीवन में, सबके लिए सब कुछ किया।
पर, अपनी संतुष्टि के लिए........................
हमने अब तक क्या किया......................?
नहीं किया? तो अब कर लो
फिर भी ना कर पाऊं तो, जब साथ मिले तो
उसके हाथ में, अपना हाथ धर लो
बालक जब जन्म लेता है, तब उसका कोई अस्तित्व नहीं होता परिवार, समाज और राष्ट्र ही उसे पहचान देते हैं । इस पहचान को बनाने में जो सबसे अधिक सहयोग करता है वह है-"विद्यालय" ।
विद्यालय और शिक्षक बच्चे का चहुमुखी विकास करने में सहयोग करते हैं, उसमें शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक एवं नैतिक गुणों का भी विकास करते हैं।
इसी विचारधारा को लक्ष्य बनाकर 5 अप्रैल 2001 को संत विजय कौशल महाराज जी के आशीर्वाद तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रेरणा से सह सरकार्यवाह माननीय मदन दास जी के पूजा कर कमलों द्वारा एवं समाज के सहयोग से एक विद्यालय की स्थापना हुई । जिसका नाम था "सरस्वती विहार"
विद्यार्थी जीवन में उच्च शिक्षा प्राप्त कर मात्र धन कमाए, इस उद्देश्य के लिए नहीं अपितु अपनी मिट्टी से हमेशा उनका जुड़ाव रहे, वह संस्कारी बने, इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सरस्वती विहार हमेशा प्रयासरत है, और रहेगा
समाज का एक नागरिक होते हुए मेरा अपना मानना है कि सरस्वती विद्या विद्यालय अपने इस उद्देश्य में पूर्णता सफल रहा है । मात्र 65 विद्यार्थियों से प्रारंभ हुए इस विद्यालय में आज लगभग 3100 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं । यह प्रदर्शित करता है कि समाज हम पर कितना विश्वास करता है।
अत्यंत हर्ष एवं गर्व का विषय है कि इसी कड़ी में आज सरस्वती विहार अपनी एक और नवीन शाखा "सरस्वती विहार गर्ल्स स्कूल" प्रारंभ करने जा रहा है जिसमें केवल लड़कियों को शिक्षा दी nh tk jgh gS वे भी अपने भारत को विश्व गुरु बनाने में अपना सहयोग कर dj jgh gS और हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के स्वपन "बेटी बचाओ -बेटी पढ़ाओ" को पूर्ण करने में हमारी "संकल्प शिक्षा समिति" का भी योगदान gks jgk gS ।
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प्रबंधक